न्यूज़ डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने KYC की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए प्रस्ताव दिया है। KYC दिशा- निर्देशों में महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित करने के लिए आरबीआई ने प्रस्ताव दिया है। आरबीआई की यह पहल ग्राहकों की प्रतिक्रिया का सीधा जवाब है और NBFC सहित वित्तीय संस्थानों के लिए परिचालन को भी सुव्यवस्थित करेगी। आने वाले समय में नियमित KYC अपडेट के लिए व्यक्ति जल्द ही एक सरल स्व-घोषणा का उपयोग करके यह पुष्टि कर सकेंगे कि उनकी जानकारी कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह प्रक्रिया सरल इसलिए होगा क्योंकि घोषणा पंजीकृत ईमेल, मोबाइल नंबर, एटीएम और ऑनलाइन बैंकिंग एप्लिकेशन सहित विभिन्न डिजिटल चैनलों के माध्यम से प्रस्तुत की जा सकती है।
आरबीआई के गर्वनर ने इस बात पर जोर दिया कि एक बार जब कोई ग्राहक किसी वित्तीय संस्थान को दस्तावेज उपलब्ध करा देता है तो उससे दोबारा वही कागज़ात नहीं मांगे जाने चाहिए। आरबीआई ने गवर्नर ने मार्च में अपने बयान मे में कहा था, “हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एक बार ग्राहक द्वारा वित्तीय संस्थान को दस्तावेज प्रस्तुत करने के बाद, हम उन्हीं दस्तावेजों को पुनः प्राप्त करने पर जोर न दें।” इस बयान के बाद ही आरबीआई ने यह कदम उठाया है, जिससे KYC की प्रक्रिया और सरल हो जाएगी।
यही नहीं आरबीआई केवाईसी अपडेट के लिए विकल्प भी बढ़ा रहा है। केवाईसी अपडेट के लिए अब आधार ओटीपी-आधारित ई-केवाईसी और वीडियो-आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) को स्वीकार किया जाएगा। इससे KYC प्रक्रिया और सरल हो जाएगी।
आरबीआई के प्रस्तावित किए जाने के बाद नए नियम ग्राहकों को आमने-सामने ऑनबोर्डिंग के लिए आधार बायोमेट्रिक ई-केवाईसी का उपयोग करने की अनुमति देंगे। अगर ग्राहक का वर्तमान पता यूआईडीएआई डेटबेस में मौजूद पते से अलग है तो उन्हें स्व-घोषणा करनी होगी। लेकिन आमने-सामने ऑन बोर्डिंग न करने पर खातों की सख्त निगरानी की जाएगी, जिसके लिए एक साल के भीतर पूरी तरह से जांच पड़ताल की आवश्यकता होगी। आरबीआई के केवाईसी नियमों में बदलाव से बड़े वर्ग को फायदा होगा, विशेषतौर से सरकारी योजनाओं के तहत प्रत्यक्ष हस्तांतरण ( DBT) प्राप्त करने वाले खातों और ग्राहकों को ।