सालों बाद फिर खुलेगी देश की सबसे बड़ी सोने की खदान, भारत हो जाएगा मालामाल

Kolar Gold Fields

सालों बाद फिर खुलेगी देश की सबसे बड़ी सोने की खदान, भारत हो जाएगा मालामाल

Amit Dev Sharma

Published on:

न्यूज़ डेस्क।। भारत को किसी जमाने में सोने की चिढ़िया कहा जाता था। देश में कई सोने की खदाने थीं। अब भारत ऐसी ही एक सोने की खदान को फिर से खोलने की तैयारी में है। हम यहां बात कर रहे हैं- कर्नाटक की कोलार गोल्ड फील्डस ( Kolar Gold Fields ) खदान की। कोलार गोल्ड फील्डस (KGF) आजादी के बाद भारत की पहली सोने की खदान है।

कभी भारत के स्वर्ण नगर के नाम से मशहूर केजीएफ 2001 में बंद होने के बाद दशकों तक निष्क्रिय रहा था। कर्नाटक सरकार ने जून 2024 में केद्र सरकार के 13 टेलिंग डंप में सतही खनन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जो 1003 एकड़ भूमि पर फैले हुए हैं जो कभी भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड के स्वामित्व में थी। इन खनन से फिलहाल कचरा निकल रहा था लेकिन इसमें अवशिष्ट सोना प्रचुर मात्रा में है। आधिकारिक अनुमान के अनुसार, इन भण्डारों में 32 मिलियन टन सामग्री है, इनमें से लगभग 23 टन प्राप्त करने योग्य सोना है, तथा पूर्ण पैमाने पर वसूली शुरू होने पर वार्षिक स्वर्ण उत्पादन 750 किलोग्राम तक पहुंचने का अनुमान है।

जानकारी की माने तो कोलार गोल्ड फील्ड ब्रिटिश काल में सोने का सबसे बड़ा भंडार था। अंग्रेजों के वक्त यहां से सैकड़ों टन सोना हर साल निकलता था। वर्ष 1880 से 120 सालों में यहां से करीब 900 टिन सोना निकला गया था। कोलार में सोने के बड़े भंडार का उल्लेख चोल साम्राज्य में भी मिलता है। चोल साम्राज्य में वर्ष 1004 से 1116 तक शिलालेखों और किताबों में सोने का खनन का उल्लेख है। विजय नगर राजवंश के दौरान भी यहां सोना निकाला गया।

1802 में कोलार गोल्ड फील्ड्स की खोज की अंग्रेजों ने की और यह खनन शुरू किया। 1804-1860 में इंग्लैंड की कंपनियों ने सोना निकाला। 1943 तक केजीएफ ने 583 टन सोना निकाले का काम किया। फिर देश की आजादी के बाद सरकार ने इसका नियंत्रण लिया। 1972 में भारत गोल्ड माइंस (बीजीएमएल) बनी, जो 2001 तक चली। लेकिन 2001 में इस खादान को बंद कर दिया गया।

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