ईरान-इजरायल संघर्ष से भारत को लगी गहरी चोट, चावल व्यापारियों को हुआ बड़ा नुकसान

ईरान-इजरायल संघर्ष से भारत को लगी गहरी चोट, चावल व्यापारियों को हुआ बड़ा नुकसान

Amit Dev Sharma

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Israel-Iran Conflict: पिछले कुछ दिनों से ईरान- इजरायल के बीच जारी संघर्ष से पूरी दुनिया पर असर पड़ा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। ईरान और इजरायल के युद्ध से भारत के चावल व्यापारियों की चुनौतियां बढ़ गई हैं। ख़बरों के मुताबिक ईरान-इजरायल संघर्ष ने भारत के बासमती चावल व्यापार को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।

पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी के मुताबिक पिछले एक महीने के दौरान ईरान भेजी गई लगभग 2,000 करोड़ रुपए की बावसमती खेप का कोई अतापता नहीं है। संघर्ष के चलते ईरान के सभी संचाल माध्यम ठप हो गए है, जिससे यह साफ नहीं हो पा रहा है कि खेपें ईरानी बंदरगाहों जैसे बंदर अब्बास, बुशहर या चाबहार पर अटकी हैं या डिलीवर हो चुकी हैं। पंजाब इस घटनाक्रम से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है क्योंकि वह भारत का 40 प्रतिशत बासमती चावल उत्पादन करता है।

बता दें कि ईरान भारत से सुगंधित बासमती का एक प्रमुख आयातक है, जो प्रतिवर्ष 7 से 8 लाख टन चावल लेता है। इस आयात की अनुमानित कीमत 8,000 से 9,000 करोड़ रुपये है। 2019 में अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए व्यापार प्रतिबंधों ने भारत के बासमती निर्यात को गहरी चोट पहुंचाई थी। पिछले दो वर्ष में स्थिति ठीक हो रही थी और व्यापार पटरी पर लौट ही रहा था कि ईरान और इजरायल युद्ध ने सबकुछ चौपट कर दिया।

साथ ही बताया गया कि प्रतिबंधों से भारत ईरान को 15 लाख टन बासमती निर्यात करता था, जिसका आधा हिस्सा अब पाकिस्तान की ओर स्थानांतरित हो गया है। ईरान में पंजाब की 1509 और 1121 बासमती किस्में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। अब अशोक सेठी केंद्र सरकार से इस व्यापार को बचाने के लिए तत्काल और सक्रीय कदम उठाने की मांग की है, जो देश के लिए 40,000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।एक अन्य निर्यातक संघ के उपाध्यक्ष रंजीत सिंह जोसन ने चेतावनी दी कि युद्ध समाप्त होने के बावजूद स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।

 

 

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