केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए खाने के कच्चे तेलों (Edible Oil Import Duty) पर मूल आयात शुल्क में कटौती कर दी है। 30 मई को जारी अधिसूचना में बताया गया कि यह निर्णय 30 मई से प्रभावी होगा। केंद्र सरकार ने कच्चे तेलों जैसे कच्चे पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क को 20% से कमकर 10% करने का निर्णय लिया है।
माना जा रहा है कि इस कटौती के परिणामस्वरूप कृषि अवसरंचना एंव विकास उपकर और सामाजिक अधिभार सहित प्रभावी आयात शुल्क 27.5 प्रतिशत से घटकर 16.5 हो गया है। इस फैसले से कई आर्थिक और सामाजिक लाभ होने की उम्मीद की जा रही है। सबसे पहले आयात शुल्क में कमी से खाद्य तेलों की कीमतों में भी कम होने की तय मानी जा रही हैं।
भारत में खाद्य तेलों की आवश्यकता काफी ज्यादा है। वह अपनी आवश्यकताओं का करीब 60 प्रतिशत आयात करता है। आयात शुल्क घटने से अब सस्ते तेल बाजार में उपलब्ध होंगे और इससे कहीं ना कहीं मांग भी बढ़ सकती है। सस्ते तेलों को खरीदने के लिए उभोक्ताओं में मांग भी बढ़ सकती है।
जानकारों की माने तो इस फैसले के बाद खाद्य तेलों की कीमतों में कमी से खाद्य मुद्रास्फीती पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा और साथ ही सस्ते खाद्य तेलों से खद्य पदार्थों की लागत भी कम होगी। सरकार का यह कदम खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को भी लाभ पहुंचाने का काम करने वाला है। केद्र सरकार का यह निर्णय कहीं ना कहीं उपभोक्ताओं, आयातकों और अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद हैं। यह खाद्य तेलों को उपलब्धता को बढ़ाएगा और कीमतों को नियंत्रित करेगा।पिछले कुछ समय में खाद्य तेलों की कीमतों में इजाफा था और आम उपभोक्ता महंगाई की मार झेल रहे थे, हालांकि अब उन्हें भी राहत मिलने वाली है।