न्यूज़ डेस्क।। चीन (China) की एक चाल से भारत के उद्योग जगत में संकट खड़ा हो गया है। बता दें कि चीन ने दुलर्भ पृथ्वी चुंबकों (Rare Earth Magnets) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का काम किया है। जिसके पीछे की वजह राष्ट्रीय सुरक्षा अंतर्राष्ट्रीय दायित्व जैसी चिंताएं हैं। लेकिन चीन के इस कदम से भारत की ऑटोमाबाइल उद्योग में चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। भारत दुलर्भ पृथ्वी चुंबकों का काफी ज्यादा आयात करता है।
कुछ आंकड़ों पर ही गौर करें तो भारत में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (REE)युक्त स्थायी चुंबकों का आयात वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग दो गुना बढ़कर 53,700 तक पहुंच गया है जो पिछले वर्ष के 28,700 टन से 88 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। गौर किया जाए तो पिछले पांच वित्तीय वर्षों में भारत में स्थायी चुंबकों की खफत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इनमें एफवाई21 में 12,400 टन से बढ़कर एफवाई24 में 28,700 टन, और अब एफवाई25 में 53,700 टन है।
भारत का इसके लिए जो कुल आयात है, उसमें से 93 प्रतिशत चीन से है। लेकिन 4 अप्रैल 2025 को चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों पर निर्यात प्रतिबंध से इसकी वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हुई और इससे भारत में भी संकट गहराया है। भारत में केवल 2-3 सप्ताह की चुंबक आपूर्ति शेष रहने की वजह से उद्योग प्रतिनिधियों का एक दल संकट समाधान के लिए चीन जाने वाला है।बता दें कि चीन से आयात होने वाले चुंबकीय तत्व प्रमुख रूप से नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन इलेक्ट्रिक वाहन (EV) मोटर, पवन टरबाइन, एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग होते हैं।
चीन के निर्यात प्रतिबंध अमेरिकी टैरिफ के जवाब में लगाए गए , लेकिन इससे कहीं ना कहीं भारत में आपूर्ति संकट को जन्म दिया है। सूत्रों की माने तो भारतीय आयातकों को अब चीन आपूर्तिकर्ताओं को यह लिखित आश्वासन देना पड़ रहा है कि ये चुंबक केवल वाहनों में उपयोग होंगे न कि रक्षा सैन्य हथियारों में। वैसे चीन की वजह से आए इस संकट के बाद भारत को वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों और स्वदेशी उत्पादन पर ध्यान देना होगा ताकि इस निर्भरता को कम किया जा सके।