Post Office Monthly Income Scheme: पोस्ट ऑफिस की एक सरकारी स्कीम ऐसी है, जो आपको हर महीने आय का साधन देती है। इस स्कीम के जरिए आप घर बैठे हर महीने 9000 रुपए कमा सकते हैं। जिस योजना की हम यहां बात कर रहे हैं, वो पोस्ट ऑफिस की मासिक आय स्कीम (POMIS) है। यह योजना आपकी बचत को नियमित मासिक आय में बदलने काम करती है।
क्या है ये योजना
सबसे पहले आप यह समझिए कि आखिर ये योजना है कैसी ? डाकघर राष्ट्रीय बचत योजना एक सरकारी गारंटी वाली बचत योजना है, जो निवेशकों को एक निश्चित ब्याज दर और मासिक आय प्रदान करती है। पोस्ट ऑफिस की इस योजना के तहत न्यूनतम निवेश एक हजार रुपए है। इसके तहत अधिकतम निवेश व्यक्तिगत खाते पर 9 लाख और संयुक्त खाते पर 15 लाख रुपए है। वहीं खाता पांच साल में देय हो जाता है। आप एक से अधिक खाते खोल सकते हैं, लेकिन निवेश की सीमा एक व्यक्ति के लिए 9 लाख रुपए और संयुक्त खाते के लिए 15 लाख रुपए है। पेनल्टी के साथ 1 वर्ष के बाद समय से पहले बंद करनी की अनुमति है। यदि 3 वर्ष के भीतर बंद किया जाता है तो जमा राशि 2 प्रतिशत चार्ज किया जाता है। यदि 3 वर्ष और 5 वर्ष के बीच बंद किया जाता है तो यह जमा राशि 1 प्रतिशत चार्ज किया जाता है। इस योजना के तहत 7.4 का वार्षिक ब्याज मिलता है।
हर महीने कैसे होगी आय
मासिक आय = (जमा की गई राशि × ब्याज दर) ÷ 12
उदाहरण ( सभी 5 साल के लिए हैं।)
1. उदाहरण – 5 लाख रुपये जमा करते हैं, तो आपको हर महीने 3,083.33 रुपये मिलेंगे।
2. उदाहरण – 9 लाख रुपये जमा करते हैं, तो आपको हर महीने 5,550 रुपये मिलेंगे।
3. उदाहरण -आप 15 लाख रुपये जमा करते हैं, तो आपको हर महीने 9,250 रुपये मिलेंगे।
POMIS मासिक आय योजना पात्रता
1. एकल वयस्क: कोई भी भारतीय नागरिक (18+ वर्ष)।
2. संयुक्त खाता/नाबालिग: अधिकतम 3 वयस्कों का संयुक्त खाता; 10+ वर्ष के नाबालिग अपने नाम पर या अभिभावक द्वारा नाबालिग/मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के लिए।
POMIS खाते का समय से पहले बंद होने पर क्या
खाता खोलने की तिथि से एक वर्ष के भीतर कोई निकासी नहीं है। 1 से 3 वर्ष के बीच बंद होने की स्थिति में जमा राशि से 2 प्रतिशत जुर्माना । 3 से 5 वर्ष के बीच बंद होने की स्थिति में 1 प्रतिशत जुर्माना। इस योजना के तहत खाता 5 वर्ष के बीत स्वत: मैच्योर हो जाता है । फिर आप राशि निकालने के लिए पोस्ट ऑफिस में पासबुक के साथ सादा आवेदन पत्र भर कर राशि निकाल सकते हैं। खाता धारक की मृत्यु होने की स्थिति में इसके लिए दावा उत्तराधिकारी कर सकता है।