न्यूज़ डेस्क।। भारत ने दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बनने का मुकाम हासिल किया है। हाल ही में भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बना है। बता दें कि शनिवार को सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग की बैठक के बाद सीईओ बीवीआर सुब्राह्मण्यम ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि अब भारत की अर्थव्यवस्था जापान से बड़ी हो गई है। आज हम 4,000 डॉलर की अर्थव्यवस्था बन चुके हैं।
आईएमएफ के अनुसार, भारत का जीडीपी अब 4.187 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि जापान का 4.186 ट्रिलियन डॉलर है। भारत के दिग्गज उद्योगपति आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने भी भारत के विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने बिजनेस स्कूल में बिताए अपने पुराने वक्त को याद करते हुए बताया कि यह उनका सपना था। उन्होंने एक्स पर लिखा कि, यह मील का पत्थर, जिसे कभी दूर की कौड़ी और दुस्साहिसक माना जाता था।
When I was in business school, the idea of India overtaking Japan in GDP felt like a distant, almost audacious dream. Today, that milestone is no longer theoretical — we’ve become the world’s fourth largest economy.
It’s no small achievement. Japan has long been an economic… pic.twitter.com/28LgnC4Osx
— anand mahindra (@anandmahindra) May 25, 2025
अब एक वास्तविकता बन गया है क्योंकि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। महिंद्रा ने भारत की इस उपलब्धि को महत्वपूर्ण बताया। साथ ही जोर देते हुए कहा कि, जापान लंबे समय से एक आर्थिक महाशक्ति रहा है जो अपनी शानदार उत्पादकता और लचीलेपन के लिए जाना जाता है।
उन्होंने स्वीकार किया कि भारत का आगे बढ़ना विभिन्न क्षेत्रों, पीढ़ियों और भौगोलिक क्षेत्रों के लाखों भारतीयों की महत्वकांक्षा और सरलता का एक उल्लेखनीय प्रमाण है।आनंद महिंद्रा का यह भी कहना रहा कि अब अगला कदम है कि हम सिर्फ कुल जीडूपी में नहीं बल्कि प्रति व्यक्ति आय में भी आगे बढ़े, सिर्फ जर्मनी को पछाड़ने के लिए नहीं। हम आगे बढ़ते रहे, इसके लिए भारत को गवर्नेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, शिक्षा और कैपिटल एक्सेस जैसे क्षेत्रों में लगातार आर्थिक सुधारों की जरूरत होगी। जानकारी के लिए बता दें कि जीटीपी के मामले में भारत से आगे अब तीन देश हैं, जिसमें अमेरिका ($30.51 ट्रिलियन), चीन ($19.23 ट्रिलियन) और जर्मनी ($4.74 ट्रिलियन) हैं।