न्यूज़ डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मोनेटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee) की अहम बैठक के बाद रेपो रेट को 0.50 प्रतिशत घटा दिया है। एमपीसी की इस बैठक में रेपोरेट को लगातार तीसरी बार घटाने का फैसला लिया गया है। घटकर ये अब 5.5 प्रतिशत पर आ गई है। रिजर्व बैंक ने 2025 की शुरुआत से ही रेपो रेट में लगातार कमी जारी जारी रखी है। बता दें कि फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीती समीक्षा के दौरान भी रेपो रेट में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की गई थी और इसे 6.50 प्रतिशत से 6 प्रतिशत पर लगाया गया था। इस बार की मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने अपने रुख ‘एकोमॉडेटिव’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है।
रेपो रेट घटाने को लेकर केंद्रीय बैंक का कहना रहा कि रेपो रेट के नीचे आने से सिस्टम लिक्विडिटी बढ़ेगी। ये बाजार में खपत बढ़ाने और डोमेस्टिक ग्रोथ को बढ़ाने में मदद करेगा, जब वैश्विक हालात लगातार अस्थिर बने हुए हैं तब घरेलू ग्रोथ पर फोकस करना सबसे अनिवार्य है। साथ ही आरबीआई की ओर से 2025 -26 के लिए जीटीपी ग्रोथ के अनुमान को 6.5 प्रतिशत बरकरार रखा है।
गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना रहा कि एमपीसी का मौजूदा निर्णय देश में प्राइस स्टेबिलिटी को ध्यान में रखते हुए डोमेस्टिक ग्रोथ को बढ़ाने की पुष्टि ले लिया गया है। वैश्विक हालात अस्थिर होने के बावजूद भारत में लगातार निवेश हो रहा है।
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। यह आरबीआई का एक महत्वपूर्ण मौद्रिक नीति उपकरण है। अगर रेपो रेट में कमी होती है तो बैंकों की पूंजी लागत घटती है और इस वजह से बैंकों का लोन सस्त होता है। बैंक इसका फायदा ग्राहकों को लोन की ईएमआई ब्याज या टेन्योर में कमी करके पहुंचाते हैं।