न्यूज़ डेस्क।। केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना शुरू की। इस योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 2025 से तो हुई , लेकिन इसमें कर्मचारी ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। एकीकृत पेंशन योजना (UPS) मजबूत सेवानिवृत्ति प्रणाली के उद्देश्य लाई गई।
इस योजना का मुख्य उद्देशय कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर उनके अंतिम 12 महीनों की औसत वेतन का कम से कम 50 प्रतिशत मासिक पेंशन के रूप में प्रदान करना है। सरकार ने इस योजना के लिए कर्मचारी वर्ग के बीच जागरुकता अभियान भी शुरू किया है, जिसमें सभी मंत्रालय और सरकारी कार्यालयों में यूपीएस के लाभों को समझाने के लिए एक प्रेजेंटेशन और एक यूपीएस कैलकुलेटर लॉन्च किया गया है। सरकार की ओर से यह भी साफ कर दिया गया है तकि 30 जून 2025 तक यूपीएस में स्विच न करने वाले कर्मचारी एनपीएस में ही रहेंगे और यह तारीख बीतने के बाद यूपीएस का विकल्प नहीं मिलेगा।
यूपीएस को चुनने को लेकर कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति है। बता दें कि यूपीएस में पेंशन की गारंटी तो है, लेकिन एकमुश्त राशि एनपीएस से कम है। एनपीएस में 40 प्रतिशत राशि वार्षिकी में जाती है और निवेशित राशि निकालने का विकल्प है जो यूपीएस में नहीं है। यूपीएस को देश के कई राज्यू ने लागू कर दिया है। महाराष्ट्र न इसे सबसे पहले अपनाया। इसके बाद गुजरात, बिहार, ओडिशा और असम जैसे बीजेपी शासित राज्यों ने भी इसे अपनाया। कई राज्यों में इसे लागू करने पर संदेह है । वैसे आपको बता दें कि यूपीएस के तहत 25 वर्ष या अधिक सेवा वाले कर्मचारियों को अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन मिलेगा। 10 वर्ष कम सेवा वालों को पेंशन नहीं मिलेगी , जबकि 10 -25 वर्ष वालों को आनुपातिक पेंशन का प्रावधान रहेगा।