भारत-पाकिस्तान तनाव से अटारी-वाघा बॉर्डर सूनी, हुआ 1200 करोड़ का नुकसान

Attari–Wagah border ceremony

भारत-पाकिस्तान तनाव से अटारी-वाघा बॉर्डर सूनी, हुआ 1200 करोड़ का नुकसान

Amit Dev Sharma

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भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कुछ दिनों से लगातार संघर्ष बना हुआ है। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया और इस दौरान पाकिस्तान में घुसकर वार किया। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है।

भारत और पाकिस्तान के बीच कायम इस तनाव से सीमा पर बसे लोगों चिंतित है। बॉर्डर से सटे इलाकों को काफी नुकसान हो रहा है और जान का खतरा भी बना हुआ है। भारत और पाकिस्तान सीमा के निकट अमृतसर से 35 किलोमीटर दूर, अटारी वाघा सीमा (Attari–Wagah border ceremony) के पास बसा पुल मोरन गांव आज तनाव और अनिश्चितता के साए में हैं। इस गांव का नाम महाराजा रंजीत सिंह द्वारा रावी नहर पर बनाए गए ऐतिहासिक पुल के नाम पर पड़ा ।

कभी अमृतसर और लाहौर के बीच यह एक प्रमुख व्यापार का केंद्र था। 19 वीं सदी में रंजीत सिंह और नर्तकी मोरन की प्रेम कहानी से जुड़ा यह पुल 1971 की जंग में क्षति ग्रस्त होने के बावजूद आज भी यादगार बना हुआ है। लेकिन अब भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे इस संघर्ष से इस क्षेत्र को आर्थिक नुकसान काफी हुआ है। दरअसल पुल मोरन और आसपास के तमाम गांव यहां पर्यटन पर ही निर्भर हैं, लेकिन सीमा पर तनाव की वजह से पर्यटन ठप हो गया है।

इस क्षेत्र के स्थानीय निवासी हरपाल बताते हैं कि “मैंने 1965, 1971 और कारगिल युद्ध देखे। हमने कभी गांव नहीं छोड़ा, लेकिन इस बार हालात कठिन हैं।” यहां के दुकानदारों की कमाई भी शून्य हो गई है। यही नहीं लोगों ने महिलााओं और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना का काम किया है। इस क्षेत्र के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगा रहे हैं क्योंकि अनुमानित नुकसान यहां 12,00 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। अमृतसर के हेरिटेज स्ट्रीट में होटल बुकिंगस 20 प्रतिशत बढ़ी तो लेकिन कीमतें आधी हो गई है। साथ ही स्वर्ण मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या घट गई है और अटारी वाघा की बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी जो रोज 15000 से 30000 पर्यटक आकर्षित करती थी वो भी सूनी है।

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