सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने की शुरुआत में पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) के बकाए का 25 प्रतिशत तत्काल भुगतान करने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद पश्चिम बंगाल के वित्त विभाग ने भुगतान के लिए पात्र वर्तमान और सेवानिवृत्त राज्य सरकार के कर्मचारियों की सही संख्या जानने के लिए सर्वेक्षण शुरू किया है।
सूत्रों की माने तो प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक पात्र लाभार्थियों की संख्या लगभग 10 लाख है, जिनमें से विभिन्न राज्य सरकारों के विभागों, सरकारी स्कूलों, नगरपालिकाओं और नगर निगमों जैसी संबद्ध संस्थाओं से जुड़े लोग तथा सेवानिवृत्त कर्मचारी शामिल हैं। लेकिन साथ ही बता दें कि 2019 या उसके बाद नियुक्त कर्मचारी इस बकाया भुगतान के लिए पात्र नहीं होंगे। इसकी वजह यह है कि 2009 में लागू पांचवें वेतन आयोग की संशोधित वेतन और भत्ता अवधि 2019 में समाप्त हो चुकी है।
राज्य वित्त विभाग द्वारा कराए गए इस सर्वे के दौरान ही एक भ्रम भी सामने आया है। वह यह है कि 2016 में नियुक्त राज्य संचालित स्कूलों के शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारी, जिन्होंने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपनी नौकरी खो दी है। ऐसे में क्या वह 25 प्रतिशत डीए बकाया भुगतान के लिए पात्र होंगे। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस मुद्दे पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है,लेकिन यह असमंजस प्रभावित कर्मचारियों के लिए कहीं ना कहीं अनिश्चितता का कारण बन गया है।
बता दें कि पात्र कर्मचारियों की संख्या पता लगाने के लिए सर्वे कराने के अलावा, राज्य वित्त विभाग के अधिकारी इस भुगतान के लिए धन की व्यवस्था करने के रास्ते तलाशने में भी लगे हुए हैं। वित्त विभाग को भुगतान के लिए 12,000 करोड़ रुपए की राशि जुटानी होगी और ऐसे में इस राशि का बोझ राज्य के खजाने पर पड़ने वाला है। गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई भी टिप्पणी करने से परेहज किया है। इस मामले में सीएम ने बस इतना कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगी, लेकिन इसका पालन कानूनी रूप से करने वाली हैं।