भारत, सऊदी अरब और UAE के बीच डील पक्की, इस बड़ी परियोजना पर खर्च होंगे ₹90,000

Electric Power Transmission

भारत, सऊदी अरब और UAE के बीच डील पक्की, इस बड़ी परियोजना पर खर्च होंगे ₹90,000

Amit Dev Sharma

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न्यूज़ डेस्क।। भारत ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने के लिए एक अहम परियोजना शुरू की है, जिसको लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खुद जानकारी दी है। भारत, सऊदी अरब और यूएई के साथ मिलकर 90,000 करोड़ रुपए निवेश करके समुद्र के नीचे बिजली ट्रांसमिशन लाइनों (Electric Power Transmission) का निर्माण करेगा।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जानकारी देते हुए कहा कि , सऊदी अरब के लिए 1,700 किलोमीटर लंबी अंडरसी केबल पर 47,000 करोड़ रुपए और यूएई के लिए 1,400 किलोमीटर लंबी केबल पर 43,5000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य भारत के नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का उपयोग कर इन देशों को बिजली निर्यात करना है।

कहीं ना कही यह परियोजना ऊर्जा क्षेत्र में भारत बढ़ती आत्मनिर्भरता और निर्यात क्षमता को दर्शाती है। बता दें कि 2014 के बाद से भारत ने ऊर्जा घाटे में अधिशेष की प्रगति की है। 2024-25 में भारत ने 34 गीगावाट की रिकॉर्ड जनन क्षमता जोड़ी, जिसमें 29.5 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा से आई। यह परियोजना केवल भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को ही बढ़ावा नहीं देगी बल्कि क्षेत्रीय ऊर्जा व्यापार को भी मजबूत करने वाली है।

मनोहर लाल खट्टर ने यह भी कहा कि भारत 2035 के बाद कोई नया थर्मल कोयला आधारित बिजली संयंत्र नहीं लगाएगा और सरकार ग्रिड के लिए बेसलोड बिजली उपलब्ध कराने के लिए बड़े पैमाने पर परमाणु उर्जा उत्पादन क्षमता विकसित करने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने अपनी बात आगे रखते हुए कहा कि, हम परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को अंतिम रूप देने में लगने वाले समय को मौजूदा 13 वर्षों से घटाकर लगभग 8 से 9 वर्ष करने को कोशिश कर रहे हैं। हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि भूंकपीय क्षेत्र 5 में शामिल नहीं होने वाले हर राज्य में कम से कम एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र होना चाहिए।

 

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