चीन के अंत की शुरुआत! प्राइस वॉर से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री गहरे संकट में, भारत को होगा फायदा

चीन के अंत की शुरुआत! प्राइस वॉर से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री गहरे संकट में, भारत को होगा फायदा

Amit Dev Sharma

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DESK: चीन (China) को दुनिया का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है जो इन दिनों संकट में है। दरअसल चीन में पिछले कुछ सालों से चल रही प्राइस वॉर ने कंपनियों को बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया है। पहले से ही कई कंपनियों संकट में चल रही थीं और अब इलेक्ट्रिक कार निर्माता BYD के ऐलान से संकट खड़ा हो गया है।

‘प्राइस वॉर’ को लेकर चिंता
चीन की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी BYD ने कीमतों में भारी कटौती का ऐलान कर दिया है। BYD के इस फैसले के बाद अन्य कार कंपनियों ने ‘प्राइस वॉर’को लेकर खुलकर चिंता जताई। मार्केट में BYD ने अपने सबसे सस्ते मॉडल सीगल हैचबैक की शुरुआती कीमत करीब 10,000 डॉलर से घटाकर 7,765 डॉलर के करीब आ गई है। चीन के इंडस्ट्री एक्सपर्ट का मानना है कि BYD की ओर से की गई कीमतों में कटौती अन्य कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है क्योंकि ये कंपनियां कीमतों में गिरावट के कारण बढ़ते नुकसान को बर्दाशत नहीं कर पाएंगी।

विशेषज्ञयों की माने तो यह स्थिति भयावह हो सकती है। स्टार्ट अप्स जैसे नेटा और पोलस्टार डगमगा सकते हैं। ग्रेट वॉल मोटर्स के प्रेसिडेंट वेई जियानजन ने चेतावनी दी कि प्राइस वॉर के कारण कंपनियों घाटे में हैं। ख़बरों की माने तो इस मामले को चीनी वाणिज्य नियामक ऑटो इंडस्ट्री में धोखाधड़ी की जांच कर रहे हैं, जहां डीलर टारगेट पूरा करने के लिए नई कारों को फर्जी बिक्री रिकॉर्ड में दर्ज करते हैं और फिर उन्हें डिस्काउंट पर बेचते हैं।

हांगकांग शेयर मार्केट में BYD के शेयर 8.6 गीली ऑटो के 9.5 प्रतिशत और नियो व लीपमोटर के 3-8.5प्रतिशत गिरे। जाटो डायनेमिक्स के अनुसार, चीन के 169 ऑटोमेकर्स में से आधे ज्यादा की बाजार हिस्सेदारी 0.1 प्रतिशत से कम है। पहले प्रीमियर फीचर्स जैसे ADAS के लिए ज्यादा कीमत ली जाती थी लेकिन अब ये शुरुआती कीमतों में मिल रहे हैं।

भारत उठा सकता है फायदा
चीन में रहे इस संकट से भारत को फायदा हो सकता है। बता दें कि चीन में घाटे और प्रतिस्पर्धा के कारण विदेशी कंपनियां भारत जैसे वैकल्पिक बाजारों की तलाश कर रही हैं। भारत का तेजी से बढ़ता ऑटो मार्केट, सस्ता श्रम और सरकारी समर्थन कंपनियों को मैन्यूफैक्चरिंग हब या एक्सपोर्ट बेस बनाने के लिए आकर्षित कर सकता है। यही नहीं भारतीय ऑटो पार्ट्स और इवी कंपोनेंट निर्माताओं को नए अवसर मिल सकते हैं।

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