न्यूज़ डेस्क।। हाल ही में हुए भूवैज्ञानिक शोधों में भारतीय महाद्वीप को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसके अनुसार भारतीय धरती के दो हिस्सों में टूटने की आशंका (India’s Land Cracking )है। यही नहीं बार-बार भूकंप (Earthquake) आने की संभावना भी इस वजह से रहेगी। यह सब क्यों होने वाला है। इस पर वैज्ञानिकों ने तार्किक रूप से बड़ा खुलासा किया है। दरअसल भूवैज्ञानिक शोधों ने भारतीय टेक्नोनिक प्लेट के दो हिस्सों में बंटने की खोज की है। यह हिमालय के नीचे एक छिपे हुए टेक्टोनिक फ्रैक्चर की मौजूदगी को रेखांकित करती है।
क्या होती हैं टेक्टोनिक प्लेटें
जानकारी के लिए बता दें कि टेक्टोनिक प्लेटें ठोस चट्टान के विशाल, अनियमित आकार के स्लैब होते हैं जो पृथ्वी के स्थलमंडल को बनाने का काम करते हैं। वहीं भारतीय टेक्टोनिक प्लेट की बात करें तो इन्हें इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट भी कहा जाता है, पृथ्वी की एक प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट है जो भारतीय उपमहाद्वीप, हिंद महासागर के कुछ हिस्सों और ऑस्ट्रेलिया और कुछ दक्षिणी द्वीप समूह कवर करती है।
भूवैज्ञानिक ने जो नई खोज की है, वह भूंकप जोखिमों और दक्षिण एशिया की भूगर्भीय संरचना को फिर से परिभाषित कर सकती है। सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के साइमन क्लेम्परर और उनके सहयोगियों ने तिब्बत में 94 सिस्मिक स्टेशनों और हीलिमय -3 आइसोटोप विश्लेषण के डेटा का उपयोग करके इस प्रक्रिया का पता चलता है। इस शोध को अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन के सम्मेलन में भी पेश किया गया।
शोध में यह खुलासा हुआ है कि भारतीय प्लेट डिलैमिनेशन नामक प्रक्रिया से गुजर रही हैं, जिसमें इसका घना निचला हिस्सा पृथ्वी के मेंटल में डूब रहा है, जबकि ऊपरी हिस्सा यूरेशियन प्लेट के नीचे सरक रहा है। तिब्बत के कोना-सांगरी रिफ्ट और वहां के झरनों में हीलियम-3 की असामान्य मात्रा इस गहरे फ्रैक्चर की पुष्टि करती है। यह प्रक्रिया हिमालय के निर्माण और भूकंपीय गतिविधियों को समझने में नए दृष्टकोण प्रदान करती है। बता दें कि हिमालय क्षेत्र पहले से ही भूकंपीय रूप से सक्रीय है और यह टेक्नोनिक विभाजन नए तनाव बिंदुओं को जन्म दे सकता है। वैज्ञानिकों को वैसे यह मत है कि यह खोज भूकंप, पूर्वानुमान मॉडल को बेहतर बनाने में मदद करेगी।