न्यूज़ डेस्क।। एआई (Artificial intelligence) टेक्नोलॉजी ने बहुत कुछ बदलकर रख दिया है। हर क्षेत्र में इसका इस्तेमाल किया जाने लगा है। यही नहीं हेल्थ के क्षेत्र में एआई टेक्नोलॉजी बड़ी अहम साबित हो रही है। स्वास्थय के क्षेत्र में अब सेल्फी या फोटो से संभावित बीमारी का एआई से पूर्वानुमान लगाया जा रहा है, उससे गंभीर बीमारियों के उपचार में एक नई उम्मीद जगी है। वैसे तो अस्पतालों में कई तरह के उपकरण मौजूद रहते हैं, जिनसे जांच के बाद बीमारी को लेकर खुलासा हो हो जाता है। लेकिन इस मामले में एआई टेक्नोलॉजी कारगर साबित हो सकती है।
फेसएज मास जनलर ब्रिघम और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल है जो चेहरे की तस्वीरों का उपयोग कर जैविक उम्र का विशलेषण करता है। यह विभिन्न डॉक्टरी जांच जैसे एमआरआई, स्टीव स्कैन, बायोप्सी, लैब टेस्ट की तुलना में कैंसर से बचने के परिणामों का ज्यादा सटीक अनुमान लगा सकता है। एआई टूल के शोधकर्ताओं का मानना है कि इंसानी चेहरा उसके स्वास्थ्य के बारे में बता सकता है।
फेसएज (FaceAge) टूल सूक्ष्म चेहरे की विशेषताओं का आकलन करने के लिए हजारों तस्वीरों पर प्रशिक्षित डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करता है जो जैविक उम्र बढ़ने से संबंधित है। इनमें त्वचा की बनावट, मांसपेशियों की टोन और हड्डी की संरचना आदि शामिल है।
गौर करने वाली बात है कि जैविक आयु क्रोनोलॉजिकल आयु से अधिक उपयोगी है क्योंकि यह व्यक्ति की वास्तविक स्वास्थ्य स्थिति को दर्शाती है जो हमेशा कैलेंडर आयु से मेल नहीं खाती है। जैसे कोई 65 वर्षीय व्यक्ति जो व्यायाम और संतुलित आहार लेता है, उसकी जैविक आयु कम हो सकती है, जबकि धूम्रपान औ र अस्वास्थ्यकर आहार वाला 28 वर्षीय व्यक्ति जैविक रूप से अधिक उम्र का हो सकता है। फेसएज सेल्फी से जैविक आयु का अनुमान लगता है। 6,000 से अधिक कैंसर रोगियों पर शोध से पता चला कि चेहरे की उम्र अधिक होने पर जीवित रहने की दर कम होती है। जैविक आयु व्यक्ति की आनुवंशिकी, जीवनशैली और पर्यावरण को दर्शाती है।