न्यूज़ डेस्क।। उड़ीसा के टिगिरिया रियासत के राजा ब्रजराज महापात्रा (Brajraj Mahapatra) का अंतिम वर्षों का जीवन बहुत बुरा रहा, जहां उन्हें रिक्शा तक चलाना पड़ा। बता दें कि ब्रजराज महापात्रा के पूर्वज राजस्थान के रहने वाले थे और उन्होंने ओडिशा में जाकर टिगिरया की नींव रखी थी और वह इस रियासत के अंतिम राजा थे। अक्तूबर 1921 को जन्में ब्रजराज महापात्रा का ताजापोशी राजा सुदर्शन महापात्रा के बाद 1943 में ब्रजराज की ताजपोशी की गई थी। ब्रजराज जब राजा थे तो उनके पास महल में 25 कारें थीं।
जवानी में उन्हें कारों का बहुत शौक था और वह नई आने वाली हर कार की शैर करते थे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के राजकुमार कॉलेज से डिप्लोमा करने वाले ब्रजराज अय्यश जरूर थे, लेकिन उनका जनता से भी लगाव था।
आजादी के बाद टिगिरया रियासत के कुछ लोग राजनीति में चले गए, वहीं ब्रजराज ने इन सबसे दूरी बनाए रखी। अय्याशी और सरकार की सख्ती के चलते राजा ब्रजराज के आर्थिक हालात बेहद खराब हो गए। अपना गुजारा करने के लिए राजा ब्रजराज ने 1960 में 75 हजार रुपए में अपना महल सरकार को बेच दिया था। इसके बाद तो वे पूरी तरह सड़क पर आ गए।
बताया जाता है कि आखिरी के दिनों में वह एक झोपड़ी में रहते थे और रिक्शा चलाकर अपना गुजारा करते थे। 95 वर्ष की आयु में इस राजा की मौत झोपड़ी में हुई। वह चाहते थे कि टिगिरिया के लोग 10-10 रुपए इक्ट्ठा कर उनका अंतिम संस्कार करें लेकिन उनकी आखिरी इच्छा भी पूरी नहीं हुई।